बुधवार, 15 अप्रैल 2009

खाते जाओ,खाते जाओ,जूतों के गुण गाते जाओ


जूते खाने वालों में गृहमंत्री पी चिदंबरम दूसरे भारतीय हस्ती बन गए हैं। कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कोंफ्रेंस के दौरान दैनिक जागरण के पत्रकार जरनैल सिंह ने गृह मंत्री के ऊपर जूता चला दिया। हालाँकि बुश की तरह गृहमंत्री भी अपनी फुर्ती से बच गए। करनैल सिंह ने मीडिया को बताया कि उसे कांग्रेस से कोई नाराजगी नहीं है। लेकिन चुनाव से पहले जिस तरह से लोगों को सीबीआई क्लीन चिट दे रही है वो ग़लत है और इसी को लेकर गृहमंत्री पर जूता फेंका। जरनैल ने कहा भले ही मेरा तरीका एक पत्रकार होने के नाते ग़लत था। पर, मुझे अफ़सोस नही है। दरअसल, कांग्रेस दफ्तर में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई थी। इस दौरान 84 के सिख दंगो के ऊपर चर्चा होने लगी। सवाल - जवाब के दौरान बढ़ती गहमा-गहमी के बीच पेशे से पत्रकार जरनैल सिंह ने विरोध जताते हुए गृहमंत्री चिदंबरम के ऊपर जूता चला दिया। इसी के साथ चिदंबरम का नाम जूते खाने वाले भारतीयों में दूसरे और विश्व स्तर पर चौथे चर्चित व्यक्तियों में शामिल हो गया। इससे पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश, चीन के प्रधानमंत्री 'वेन जिअवाओ' और बुकर सम्मान से सम्मानित अरुंधती रॉय के साथ ऐसी घटना हो चुकी है। इसी साल फ़रवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट्स फैकल्टी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अरुंधती रॉय को जूते खाने वालों की लिस्ट में शुमार होना पड़ा था। अरुंधती रॉय के उस बयान का खंडन किया जिसमे उन्होंने कहा था की कश्मीर, पाकिस्तान को दे देना चाहिए। अजमल कसाब के मामले पर उन्होंने ये टिप्पणी की थी जिससे सभी युवा नाराज़ दिखे। तभी एख युवक आशिफ ने अरुंधती राय के ऊपर जूता चला दिया जिसके बाद में जंतर मंतर पर ये जूता 1 लाख 11 हजार रूपये में नीलम कर दिया गया था। फिलहाल, गृहमंत्री के ऊपर जूता फेंके जाने से नेतागण सकते में हैं। मीडिया में इस बात को लेकर बहस शुरू हो गई है कि क्या विरोध का ये तरीका उचित है?  विरोध का ये तरीका कितना उचित है ये तो अलग मुद्दा है।चुनावों के इस मौसम में नेताओ को सबसे ज्यादा खतर इन जूतों से ही तो है। क्या पता कौन सा विरोधी कब जूते से वार कर दे?  जो भी हो विरोध के सारे तरीको पर जूता फेंकना भारी पड़ता दिख रहा है।

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