मंगलवार, 24 मार्च 2009

काश, हमारा ऑफिस आज गांव में होता

काश हमारा ऑफिस गांव में होता तो हम आज सुबह उठते, छोटे से ट्रांजिस्टर पर आकाशवाणी से समाचार सुनते कि मुम्बई में पेट्रोल नहीं मिलने से लोगों को भारी दिक्कत हो रही है, और आश्चर्य करते कि पेट्रोल की इतनी क्या जरूरत है। फिर नाश्ता करके घर से निकलते और टहलते हुए ऑफिस पहुंच जाते जो कि घर से दस कदम की दूरी पर होता।रास्ते में साइकिल से शहर जाते स्कूल के गुरु जी से दुआ- सलाम भी कर लेते।ऑफिस जाकर कुर्सी- टेबल बाहर निकालते और नीम पेड़ के नीचे, गुनगुनी धूप में काम करने बैठ जाते।पास की गुमटी से चूल्हे में लकड़ी जला कर बनाई गई दस पैसे की अदरकवाली चाय भी आ जाती। चाय आती तो साथी भी आ जाते, अखबार भी ले आते।फिर अखबार में छपी दुनिया भर की खबरों पर चर्चा की जाती, सुबह सुने समाचार को “ब्रेकिंग न्यूज” की तरह पेश किया जाता और मुम्बई के लोगों की हंसी उड़ाई जाती कि बेचारे बिना पेट्रोल के ऑफिस नहीं जा पा रहे हैं।
फिर चर्चा की जाती कि मुम्बई के लोगों को ऐसी मुसीबत से बचने के लिए क्या करना चाहिए। आधे लोग आश्चर्य करते कि मुम्बई वाले चीन की तरह साइकिल पर क्यों नहीं चलते, बाकी आधे आश्चर्य करते कि पेट्रोल नहीं है तो छुट्टी क्यों नहीं ले लेते मुम्बई वाले, ऑफिस जाने की क्या जरूरत है?
और फिर सब दोपहर का खाना खा कर एक झपकी लेने अपने- अपने घर चले जाते…
लेकिन ऑफिस तो हमारा है मुम्बई में.. इसलिए तेल कर्मचारियों की हड़ताल का असर झेल रहे हैं, भीड़ से खचाखच भरी लोकल ट्रेनों और बसों में सफर कर ऑफिस पहुंच रहे हैं और बंद ऑफिस में बिना एसी के बैठे यह चिंता कर रहे हैं कि हड़ताल खत्म नहीं हुई तो शाम तक बसें भी बंद हो जाएंगी फिर घर कैसे जाएंगे, 20-22 किलोमीटर दूर घर है- पैदल चल कर कैसे जाएंगे, रसोई गैस भी नहीं मिली तो खाना कैसे पकेगा, शहर में खाने –पीने के सामान की किल्लत हो जाएगी…

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब पुण्डीर जी!
    ऐसी ही लिखते रहिए। भैया बहुत अच्छी लेखनी पाई है, मुसीबत और उस का हल बताने की। हमारे यहाँ भी एक पुण्डीर साहब हैं, आज मिलेंगे तो उन्हें बताऊंगा कि आप के उपनाम के अनूप वाकई अनूप हैं।

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  2. आज कल के गाँव को किताबों वाला गाँव न समझे बंधु अब गाँव भी हाईटेक हो गएँ है .

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  3. http://www.garamchai.in/?p=671
    बताना ज़रूरी तो नहीं, कि यह लेख मैं पहले यहाँ पढ़ चुका हूँ !
    तीन दिनों के प्रयास के बाद लिंक मिल पाया.. प्रेषित है !
    दुबारा पढ़वाने का आभार !

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